भास्कर संवाददाता, इंदौर |बिजली कंपनी द्वारा कागजी बिल बंद किए जाने का खामियाजा बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं को चुकाना पड़ रहा है। बिजली कंपनी ने उपभोक्ता के द्वारा बिल मांगे जाने पर जोन पर प्रिंटर की व्यवस्था की है, लेकिन प्रिंट निकालने का कागज जोन पर नहीं है। कागज उपभोक्ता से ही बुलवाया जा रहा है। उपभोक्ताओं को एमपी ऑनलाइन सेंटर से 10 रुपए तक बिल के लिए खर्च करना पड़ रहे हैं। सवा सात लाख कागजी बिल बांटे जाने पर कंपनी को हर महीने औसत 125 करोड़ रुपए बिल के रूप में मिलते थे। कंपनी का दावा है कि नई व्यवस्था के बावजूद राजस्व वसूली के 137 करोड़ रुपए हुई है। पिछले दो महीने से बिल नहीं बंटने, मोबाइल पर ही बिल भेजे जाने के बावजूद आंकड़ा बढ़ा है। जबकि हकीकत यह है कि रोजाना जोन कार्यालयों पर लोग बिल की डिमांड के लिए पहुंच रहे हैं।
4 लाख लोग ऑनलाइन सवा लाख अब भी रह गए
शहर में चार लाख उपभोक्ता ऐसे हैं जो मोबाइल से बिल जमा करते हैं। तीन लाख बिल जोन कार्यालयों पर जमा होते थे। बिजली कंपनी का दावा है कि अब सभी को मोबाइल पर ही बिल भेजे जा रहा हैं। अभी सवा लाख उपभोक्ताओं को किसी भी मोड से बिल नहीं मिल रहे हैं।
स्पॉट बिलिंग के लिए व्यवस्था कर दी है
अधीक्षण यंत्री मनोज शर्मा के मुताबिक हमने मीटर रीडर के जरिए स्पॉट बिलिंग की व्यवस्था की है। जिन उपभोक्ताओं के नंबर रजिस्टर्ड नहीं है उनके नंबर हाथोहाथ दर्ज कर मोबाइल पर बिल भेजा जा रहा है।
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